रहम कर करम कर ख़ुदाया तू हमपे, ख़ता हो गई है बड़ी कोई हमसे। तकब्बुर में जीते थे तेरे जहां में ज़हर बोते थे हम ज़मीं आसमां में, समझते थे हम ही तो सबसे बड़े हैं नदामत में अब सर झुकाए खड़े हैं, तेरे सामने कितने लाचार हैं हम पहुंचकर बुलंदी पे भी ख़्वार हैं हम। ये माना सदी के गुनहगार हैं हम तेरी रहमतों के तलबगार हैं हम। ये शहरों में वीरानी, मातम है हर सू तड़पते हुए इब्ने-आदम है हर सू, इन्हें भी शिफा़ दे सुकूं अब अता कर, ऐ का़दिर-ए-मुतलक कोई मौजज़ा कर। #Aliem #coronapandemic #prayer #Qadir_e_mutlak #yqbhaijan #yqdidi #urduhindi_poetry तकब्बुर - Proud नदामत - Repentance ख़्वार - Destitute, bad condition शिफ़ा - Cure क़ादिर-ए-मुतलक - Omnipotent मोजज़ा - Miracle