हाँ वो आई थी, संग अपने ढेरों सपने लायी थी। बसाएगी वो भी अब अपनी एक नई दुनिया, वो भी यह अरमान सजाये दिल में, इस घर की चौखट पर आई थी । पर यहाँ कुछ ज़िम्मेदारियां थी पहले से, कुछ रिश्ते थे उलझे से, कुछ अनकहे जज़्बात थे समझने को, तो कुछ इन्तेहाँ थे ज़माने के। खुद ममता की छाँव से निकल , अब उसको ममता बिखेरनी थी। दुखा न दे वो दिल उन मासूमो का, अब उसे यह भी सम्भालना था। तराजू में रख उसने अपनी ममता थी बाटी, ना अपने को जयदा न उनको कम थी बाटी । समाज को उमीदें थी उससे ममता के त्याग की, पर देना ना था अधिकार उसको माँ की चिन्ता भरी फटकार की। बोलने से पहले आज भी उसको सोचना पड़ता है, गलत न समझे समाज यह देखना पड़ता है, माना वो भी माँ है उन बच्चों की पर आज भी केहता समाज उसको "सौतेली माँ" जो है। Thank u so much 😊for your lovely pokes 🤗❤ Clain Sumit Rai Rajesh Kumar😉 Shubham Shukla Yashwant Soni itne log hi mention ho paa rhe hai 🙆baakiyo ko sorry and thanks a lot for pokes🤗 हाँ वो आई थी, संग अपने ढेरों सपने लायी थी।