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तू ही कर्म कराती मैय्या, तू ही भाग्य बनाती है, सार

तू ही कर्म कराती मैय्या, तू ही भाग्य बनाती है,
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।
ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव, सब में तेरी शक्ति मां,
कभी तू गौरी, कभी कालिमा, नित नए रूप बनाती मां।
तू ही शक्ति, तू ही भक्ति, विद्या और अविद्या है,
राम भी तू, रावण भी तू ही, तू ही युद्ध रचाती है।
सूरज-चंदा तेरे सहारे, सप्तऋषि और सारे तारे,
सारी सृष्टि उधर घूमती, तू करती जिस ओर इशारे।
आग में बाग लगाती मैय्या, सागर पीती बन ज्वाला,
पूजा-पाठ की अग्नि तू ही, मधुशाला की तू हाला।
तूने जन्मा सारे जग को, तू ही गोद खिलाती है,
कालचक्र का घुमा के पहिया, वापस हमें बुलाती है।
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।

#चैत्र के नवरात्र और नए वर्ष की सबको हार्दिक बधाई

©पूर्वार्थ #navratri 
#चैत्र के नवरात्र और नए वर्ष की सबको हार्दिक बधाई
तू ही कर्म कराती मैय्या, तू ही भाग्य बनाती है,
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।
ब्रह्मा, विष्णु और सदाशिव, सब में तेरी शक्ति मां,
कभी तू गौरी, कभी कालिमा, नित नए रूप बनाती मां।
तू ही शक्ति, तू ही भक्ति, विद्या और अविद्या है,
राम भी तू, रावण भी तू ही, तू ही युद्ध रचाती है।
सूरज-चंदा तेरे सहारे, सप्तऋषि और सारे तारे,
सारी सृष्टि उधर घूमती, तू करती जिस ओर इशारे।
आग में बाग लगाती मैय्या, सागर पीती बन ज्वाला,
पूजा-पाठ की अग्नि तू ही, मधुशाला की तू हाला।
तूने जन्मा सारे जग को, तू ही गोद खिलाती है,
कालचक्र का घुमा के पहिया, वापस हमें बुलाती है।
सारी दुनिया तेरी महिमा, तू ही खेल रचाती है।

#चैत्र के नवरात्र और नए वर्ष की सबको हार्दिक बधाई

©पूर्वार्थ #navratri 
#चैत्र के नवरात्र और नए वर्ष की सबको हार्दिक बधाई