Shree madbhagwadgeeta ~#०4 इन अपनों को देख के सम्मुख, धीरज मेरा टूट रहा! मुख सुख रहा भय के मारे; गांडीव हाथ से छूट रहा!! नहीं परिणाम जानता हूं मैं, जीतूंगा या हारूंगा! इनके हाथों मर जाऊंगा, या युद्ध में इनको मारूंगा!! धन का अव्यय होगा बस, समय व्यर्थ ही जाएगा! अनाथ बालकों और विधवाओं से; धर्मक्षेत्र भर जाएगा!! युद्ध में कितनी हानि होंगी, जगदीश्वर तनिक करो विचार! सिर्फ विनाश दिखाई देता है मुझको, है नहीं युद्ध में कोई सार!! बैठ गया थक करके अर्जुन, कहा आगे अब मैं नहीं बढूंगा! हार गया हूं अब मैं माधव; युद्ध में आगे नहीं लडूंगा!! ~केशव Pathak jay shree Krishna 🙏 ..........to be continue ©कवि की कल्पना ✍️ Shree madbhagwadgeeta~#०4 #श्रीमदभगवद्गीता #KaviKiKalpana