इश्क है तो इश्क पर एतबार होना चाहिए दुश्मन है तो दुश्मन से तकरार होना चाहिए सच बात है तो सब को सच कहना चाहिए जंग अगर लाज़मी है तो जंग होना चाहिए ख्याली पुलाव पकाने से अब कुछ नहीं होता ये दौर जुल्म का है तो जुल्म से लड़ना चाहिए ये प्रर्दशन वर्दशन से अब कुछ नहीं होने वाला सरकार गुंगी बहरी है फिर भी सच कहना चाहिए जुल्म से लड़ते रहो तुम तब तक हार न मानों अगर तानाशाही है तो अब बगावत होनी चाहिए इश्क है तो इश्क पर एतबार होना चाहिए दुश्मन है तो दुश्मन से तकरार होना चाहिए सच बात है तो सब को सच कहना चाहिए जंग अगर लाज़मी है तो जंग होना चाहिए ख्याली पुलाव पकाने से अब कुछ नहीं होता ये दौर जुल्म का है तो जुल्म से लड़ना चाहिए