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महोत्सव ------- कभी कभी जब मैं थक जाता हूँ अपने मन

महोत्सव
-------
कभी कभी
जब मैं थक जाता हूँ
अपने मन की कलुषित
आंतरिक पीड़ाओं से..
तो पढ़ लेता हूँ
तुम्हारे लिए लिखी गयीं
अपनी ही विरह-पंक्तियाँ
जब भी स्वयं से पराजित होने का
मन करता है तो , देख लेता हूँ
तुम्हारी कविताओ पर की गयी
स्वयं की समीक्षायें
मैं देख लेता हूँ
संदेशो में किया गया
तुमसे विनम्र निवेदन
और फिर धूमधाम से मना लेता हूँ
स्वयं ही स्वयं की मृत्यु के शोक का
महा उत्सव
जब भी टूट जाता हूँ मैं
स्वयं के जीवन से
कभी कभी...

©Sultan Mohit Bajpai
  महोत्सव
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कभी कभी
जब मैं थक जाता हूँ
अपने मन की कलुषित
आंतरिक पीड़ाओं से..
तो पढ़ लेता हूँ
तुम्हारे लिए लिखी गयीं

महोत्सव ------- कभी कभी जब मैं थक जाता हूँ अपने मन की कलुषित आंतरिक पीड़ाओं से.. तो पढ़ लेता हूँ तुम्हारे लिए लिखी गयीं #New #SAD #poem #post #gazal #कविता #nojotomusic #merikHushi #sultan_mohit_bajpai

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