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#सागर_की_लहरें मन था जिसका सागर जैसा उदार थी जिसक

#सागर_की_लहरें

मन था जिसका सागर जैसा
उदार थी जिसकी करनी
खुला था जिसका तीसरा चक्षु
ज्ञान के मोती संजोये
ज्ञान विज्ञान का मिलाप था खुद मे
पगला जन हित जो था चाहे
लहरें आती जाती रहती हैं 
अब शांत सुशांत वो सोए
कैसे डूबेगी वह नैया
क्षितिज पार जो कर जाए
बादल ग़रजे बिजली चमकी
पानी पानी में मिल जाये
देख अनोखा खेल अधिकारों का
सर शर्म से झुक जाए
क्या एक भी बैरागी न ऐसा
जो सहज न्याय दिलाए?
©_suruchi_  मन था जिसका सागर जैसा
उदार थी जिसकी करनी
खुला था जिसका तीसरा चक्षु
ज्ञान के मोती संजोये
ज्ञान विज्ञान का मिलाप था खुद मे
पगला जन हित जो था चाहे
लहरें आती जाती रहती हैं 
अब शांत सुशांत वो सोए
#सागर_की_लहरें

मन था जिसका सागर जैसा
उदार थी जिसकी करनी
खुला था जिसका तीसरा चक्षु
ज्ञान के मोती संजोये
ज्ञान विज्ञान का मिलाप था खुद मे
पगला जन हित जो था चाहे
लहरें आती जाती रहती हैं 
अब शांत सुशांत वो सोए
कैसे डूबेगी वह नैया
क्षितिज पार जो कर जाए
बादल ग़रजे बिजली चमकी
पानी पानी में मिल जाये
देख अनोखा खेल अधिकारों का
सर शर्म से झुक जाए
क्या एक भी बैरागी न ऐसा
जो सहज न्याय दिलाए?
©_suruchi_  मन था जिसका सागर जैसा
उदार थी जिसकी करनी
खुला था जिसका तीसरा चक्षु
ज्ञान के मोती संजोये
ज्ञान विज्ञान का मिलाप था खुद मे
पगला जन हित जो था चाहे
लहरें आती जाती रहती हैं 
अब शांत सुशांत वो सोए
seemapurandare2087

_suruchi_

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