उफ़! ये ज़माना...कई बार चाहे हमें मिटाना.. कभी उम्मीदें तोड़ दे..कभी दामन छोड़ दे.. कितने ही साज़िश किए ..चाहा हर वक़्त हमें हराना.. सिर्फ तोड़ा मरोड़ा..सीखा नहीं राह ए ज़िस्त आसान बनाना।। ख़ैर अपनी भी ज़िंदादिली खूब मशहूर हैं.. तूफ़ानों में रहकर साथ चला..अपना चमकता नसीब है.. दर दर की ठोकरें मिली भी तो क्या ग़म अब? तेरे मयखाने में भी ज़िंदादिल की ही चर्चे अतीव है।। कौन मार सकता है हमें बस चाह जाने से.. खुदा का ही नूर बसा मेरे रूह के हर आयनें में.. जागता हूं, भागता हूं..लड़ता हूं.. हां इश्क़ भी करता हूं.. कसम से ..गजब का सुकून है पाया हमने इस ज़िंदादिली निभाने में.. 🙃🙂