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बैरी बदरा जब -तब नभ में छा जाये। जब चाहे गरजे चा

बैरी  बदरा  जब -तब नभ में छा जाये।
जब चाहे गरजे चाहे जल बरसा जाये।
हिय में पीर उठे पपीहे की पी पी सुन।
आ जाते घर साजना मन ये हर्षा जाये।

©Sneh Lata Pandey 'sneh'
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