एक इधर मेरी जिसके साथ अज़ल तक चलने की तैयारी है। उसी शख़्श की हमसे अलग होने की तैयारी है। इसे वहशत कहो या मेरी समझदारी कहो सब। मुझे अभी भी लगता है वो लड़की हमारी है। वहशत= पागलपन अज़ल= अनंतकाल