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कि अनपढ़ थी मेरी निगाहें, कि उसकी चाहत भरी आंखो

कि अनपढ़ थी मेरी निगाहें,
कि उसकी  चाहत भरी 
आंखो को नहीं पढ़ पाया 
जब वो दूर हो गए मेरे से, 
तब ये दिल आफ़सोस मे ही  रह गया 
Bmpksingh

©Mahima Parman
  Repent sad shayri

Repent sad shayri #शायरी

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