-: आख़िरी साँसे :- वक़्त या बे-वक़्त जो भी गुज़रे, हर 'साँस' यहाँ धोखा हैं ज़िन्दगी से 'वफ़ा' नहीं करो यारों हर साँस यहाँ धोखा हैं हर पल चल रही है 'साँसे' जाने कब रुक जाए पता नहीं 'एहसास' करता है दिल, 'मौत' कब आ जाए ? पता नहीं आखिरी वक़्त, 'इबादत' करना चाहता हूँ, मेरे रब की मैं झुक कर 'चरणों' में 'माँ-पिता' के, 'जन्नत' चाहता हूँ मैं दूजा इश्क़ प्रियतमा संग पल में सदियाँ जीना चाहता मैं उसे दिए 'कसमें-वादे' निभा ना पाने की माफ़ी चाहता मैं आख़िरी साँस तक भी रुकना नहीं, मुझे यूँ हार मान कर चलते-चलते ही 'आख़िरी' 'साँस' को जीना चाहता हूँ मैं #restzone #rzलेखकसमूह #rztask53 #yqdidi #sanse #सासें #अल्फाज_ए_कृष्णा