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White #बारिश का ही मौसम था भर गया था ताल पोखरा तृ

White 
#बारिश का ही मौसम था
भर गया था ताल पोखरा
तृप्त हो गयी  थी प्यासी धरा
#चांदनी रात की बिखरी किरणें
धरा पर उतरती 
कानों गूंजती
झींगुर की आवाज
निस्तब्धता को भंग करती
टर्र टर्र करते दादुर की आवाज
अचानक ही तुम आयी थी
पानी से सराबोर भीगे कपड़ो में
हाथों में लिये भरे हुए आमों के टोकरे 
जो शायद अभी अभी टपके थे
टपक रहीं थीं पानी की बूंदें 
तुम्हारे सुर्ख गालों पर
जैसे कोई श्वेत मोती 
निकल आया हो सीप से बाहर
नज़रों से नजर ने बात की 
शायद अनछुआ कोई अहसास थी
चली गयी थी तुम छोड़कर
भरे हुये आमों के टोकरे को
जिस पर लिखा दिया था
#प्रेम की मूक परिभाषा
सच कहूं!क्या हुआ 
हमारे प्रेम में #मिलन की
कोई डगर नहीं है
तू  आज अगर मेरा
#हमसफ़र नहीं है
मैं तो आज भी जीता हूं तुममें 
उन हसीन पलों के साथ
जिसमें शामिल हैं
तेरी मासूम मुहब्बत के जज़्बात

©संजय श्रीवास्तव #love_shayari
White 
#बारिश का ही मौसम था
भर गया था ताल पोखरा
तृप्त हो गयी  थी प्यासी धरा
#चांदनी रात की बिखरी किरणें
धरा पर उतरती 
कानों गूंजती
झींगुर की आवाज
निस्तब्धता को भंग करती
टर्र टर्र करते दादुर की आवाज
अचानक ही तुम आयी थी
पानी से सराबोर भीगे कपड़ो में
हाथों में लिये भरे हुए आमों के टोकरे 
जो शायद अभी अभी टपके थे
टपक रहीं थीं पानी की बूंदें 
तुम्हारे सुर्ख गालों पर
जैसे कोई श्वेत मोती 
निकल आया हो सीप से बाहर
नज़रों से नजर ने बात की 
शायद अनछुआ कोई अहसास थी
चली गयी थी तुम छोड़कर
भरे हुये आमों के टोकरे को
जिस पर लिखा दिया था
#प्रेम की मूक परिभाषा
सच कहूं!क्या हुआ 
हमारे प्रेम में #मिलन की
कोई डगर नहीं है
तू  आज अगर मेरा
#हमसफ़र नहीं है
मैं तो आज भी जीता हूं तुममें 
उन हसीन पलों के साथ
जिसमें शामिल हैं
तेरी मासूम मुहब्बत के जज़्बात

©संजय श्रीवास्तव #love_shayari