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ग़ुमराह राहें भटकाती है ध्यान, औरों की मत सुन ख़ुद

 ग़ुमराह राहें भटकाती है ध्यान,
औरों की मत सुन ख़ुद को पहचान..!

ज़िन्दगी है तेरी फिर क्यों,
किसी और का मुलाज़िम बनना..!

तेरी काबिलियत बनायेगी,
तेरी ख़्वाहिशों का जहान..!

तानों के तीर करेंगे घायल,
न ख़ुद को करना किसी के पीछे पागल..!

ख़्वाब भी तेरी होंगे हक़ीक़त,
मिलेगा जग में मान सम्मान..!

बरकरार रखना साहस यूँ सर्वदा,
बस होने न देना ख़ुद को वीरान..!

आज पीठ पीछे बोलने वाले करेंगे एक दिन,
तेरी सफलता का सबके सामने बख़ान..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #wait #gumraah