मोती किनारे पर नहीं मिला करते साहब गहराई तक जाना होता है ख़ज़ाने के लिए छेद बाँसुरी में सात कर लो या सात हजार फूँक तो मारनी ही पड़ेगी बजाने के लिए जब जी चाहता है भीग लेते हैं हम आँसुओं से अर्से से पानी हाथ लगाया नहीं नहाने के लिए ये आशिकी हम जैसे सयानों के बस की नहीं बहुत तुतलाना पड़ता है यार मनाने के लिए जानते हैं मर्ज़ और बढ़ेगा हाथ लगाने से मगर उँगलियाँ आप ही उठ जाती हैं खुजाने के लिए वो इस क़दर अकेले नाज़नीं है सारे महकमें में खुशामद खोर तैयार रहते हैं पलकें उठाने के लिए ना तो मौसम सर्द है, ना ही कोई और मर्ज़ है 'सनम' यूँ धूप में बैठा है ज़ख्म सुखाने के लिए ©technocrat_sanam ये आशिकी अपने बस की बात नहीं बहुत तुतलाना पड़ता है यार मनाने के लिए 😅🤗😉😂 For your ease of eyes 👀 👇 खुशामद खोर.. मोती किनारे पर नहीं मिला करते साहब गहराई तक जाना होता है ख़ज़ाने के लिए