Nojoto: Largest Storytelling Platform

आसमां पर रंगत फिर से आसमानी आयी हैं हवा बोली शजर प

आसमां पर रंगत फिर से आसमानी आयी हैं
हवा बोली शजर पर फिर से जवानी आयी हैं ।

खुद समंदर भी छोड़ सकता है खारे मिजाज को
ठहरी नदियों में भी फिर से रवानी आयी हैं ।

दश़्तो के बाशिंदे निकल कर आये हैं शहर में 
शायद उन्हें भी तो याद मिट्टी पुरानी आयी हैं ।

बस मसीहा बन,ये खुदा बनने की हैं तलब क्यों 
कुदरत यही तो  बताने मुँह जबानी आयी हैं ।

मुझे असीरी में देख कर तरस आ गया उसको 
बतियाने चिलमन पर  चिड़िया सयानी आयी हैं ।

बड़ी मुद्दतो के बाद लौट कर आया है बचपन
बुजूर्गों की जुबां पर फिर से कहानी आयी है ।

शहर में बैठ कर अंदाजा नही लगा सकता हूँ 
गाँव तक जाने में उसे क्या परेशानी आयी हैं ।

आसमां से उतर कर, घरौंदो में ही ठहर जाते
मर्ज लेकर कुछ परिंदो की नादानी आयी हैं।

(दश्त-जंगल, असीरी-कैद) 
लोकेंद्र की कलम से ✍️ #लोकेंद्र की कलम से
आसमां पर रंगत फिर से आसमानी आयी हैं
हवा बोली शजर पर फिर से जवानी आयी हैं ।

खुद समंदर भी छोड़ सकता है खारे मिजाज को
ठहरी नदियों में भी फिर से रवानी आयी हैं ।

दश़्तो के बाशिंदे निकल कर आये हैं शहर में 
शायद उन्हें भी तो याद मिट्टी पुरानी आयी हैं ।

बस मसीहा बन,ये खुदा बनने की हैं तलब क्यों 
कुदरत यही तो  बताने मुँह जबानी आयी हैं ।

मुझे असीरी में देख कर तरस आ गया उसको 
बतियाने चिलमन पर  चिड़िया सयानी आयी हैं ।

बड़ी मुद्दतो के बाद लौट कर आया है बचपन
बुजूर्गों की जुबां पर फिर से कहानी आयी है ।

शहर में बैठ कर अंदाजा नही लगा सकता हूँ 
गाँव तक जाने में उसे क्या परेशानी आयी हैं ।

आसमां से उतर कर, घरौंदो में ही ठहर जाते
मर्ज लेकर कुछ परिंदो की नादानी आयी हैं।

(दश्त-जंगल, असीरी-कैद) 
लोकेंद्र की कलम से ✍️ #लोकेंद्र की कलम से