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मनमौजी था मै पहले, हसी मज़ाक किया करता था, फिकर न

मनमौजी था मै पहले,
हसी मज़ाक किया करता था,
फिकर न थी किसी बात की,
चाय और दोस्ती संग बकवास किया करता था ।

न चिंता, न थी फिकर किसी की, 
न किसी की यादें परेशान किया करती थी,
बस सेमेस्टर एग्जाम्स का बोझ था,
उसे भी दोस्तो संग ग्रुप स्टडीज में उड़ा दिया करता था ।

आज कॉलेज की दुनियां से निकला हूं,
नीचे ज़मीन और ऊपर खुला आकाश है,
मन में कुछ कर गुजरने की आस है,
ये सब तो ठीक है पर,
पहले एक जॉब की तलाश है।

ज़िन्दगी की भाग दौड़ में सब बावले है,
एक दूसरे से आगे निकलने के लिए उतावले है,
भागते दौड़ते वो चाय की टपरी कहीं पीछे छूट गई,
अब सिर्फ यादें बची है,
वो हसी मज़ाक बेआवज सी हो गई है। मनमौजी था मै पहले,
हसी मज़ाक किया करता था,
फिकर न थी किसी बात की,
चाय और दोस्ती संग बकवास किया करता था ।

न चिंता, न थी फिकर किसी की, 
न किसी की यादें परेशान किया करती थी,
बस सेमेस्टर एग्जाम्स का बोझ था,
मनमौजी था मै पहले,
हसी मज़ाक किया करता था,
फिकर न थी किसी बात की,
चाय और दोस्ती संग बकवास किया करता था ।

न चिंता, न थी फिकर किसी की, 
न किसी की यादें परेशान किया करती थी,
बस सेमेस्टर एग्जाम्स का बोझ था,
उसे भी दोस्तो संग ग्रुप स्टडीज में उड़ा दिया करता था ।

आज कॉलेज की दुनियां से निकला हूं,
नीचे ज़मीन और ऊपर खुला आकाश है,
मन में कुछ कर गुजरने की आस है,
ये सब तो ठीक है पर,
पहले एक जॉब की तलाश है।

ज़िन्दगी की भाग दौड़ में सब बावले है,
एक दूसरे से आगे निकलने के लिए उतावले है,
भागते दौड़ते वो चाय की टपरी कहीं पीछे छूट गई,
अब सिर्फ यादें बची है,
वो हसी मज़ाक बेआवज सी हो गई है। मनमौजी था मै पहले,
हसी मज़ाक किया करता था,
फिकर न थी किसी बात की,
चाय और दोस्ती संग बकवास किया करता था ।

न चिंता, न थी फिकर किसी की, 
न किसी की यादें परेशान किया करती थी,
बस सेमेस्टर एग्जाम्स का बोझ था,
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Kumar Naresh

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