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0 + 0 = 0 : 0-0 = 0 ; O * 0 = 0 ; 0 / 0 = 0 शून्य

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शून्य की महत्ता दर्शाता ईशावास्योपनिषद् का मन्त्र
 ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते । 
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
 शाब्दिक अर्थ " वह सर्वेश्वर सभी प्रकार से सदा सर्वदा परिपूर्ण है 
 यह संसार भी उस सर्वेश्वर से पूर्ण ही है 
क्योंकि यह पूर्ण उसी पूर्ण से ही उत्पन्न हुआ है
 उस पूर्ण में से पूर्ण को निकाल देने पर भी वह पूर्ण ही शेष रहता है ।

©Bannykrezy4 शून्य
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#Bannykrezy4 
#Shuny
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शून्य की महत्ता दर्शाता ईशावास्योपनिषद् का मन्त्र
 ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते । 
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ॥
 शाब्दिक अर्थ " वह सर्वेश्वर सभी प्रकार से सदा सर्वदा परिपूर्ण है 
 यह संसार भी उस सर्वेश्वर से पूर्ण ही है 
क्योंकि यह पूर्ण उसी पूर्ण से ही उत्पन्न हुआ है
 उस पूर्ण में से पूर्ण को निकाल देने पर भी वह पूर्ण ही शेष रहता है ।

©Bannykrezy4 शून्य
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#Shuny