प्यार हो तो ऐसा जिसमें विमुक्ति की गुंजाइश हो, हो तक़रार पर न कभी बदले की आजमाइश हो, तू हमसफ़र मैं तेरी हमराही बन तेरे संग चलूँगी, ज़र्रे जर्रे में तेरे मेरे प्यार की ही बस आराइश हो, ये सच्चा प्यार है जो आज हम तेरे इतने करीब है, कुछ नही बस तन्हाइयों में तेरे साथ की नुमाइश हो, बा-खुदा चाँदनी रात में दिल का सौदा तो कर लिया, बस ताउम्र तेरे साथ रहने की एक मेरी फरमाइश हो। A challenge by Collab Zone🌟 ✔️समय - 17 मार्च शाम 5 बजे तक ✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है । ✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।