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मन की मनुहार मे प्यार की पुकार मे दर्द से भर है दि

मन की मनुहार मे
प्यार की पुकार मे
दर्द से भर है दिल
                 अब मान भी जाओ।
               प्रेमरस से सराबोर
                 हृदय में उठे हिलोर
                 छलछला रहा हृदय
                  अब मान भी जाओ।
आंखिंयन के कोर से
जल की बरसात से
भीग रहा है कपोल
अब मान भी जाओ
                 मित्र हो बने मेरे
                  दूर दूर क्यों खड़े
                  अश्रु जल को मेरे
                   कपोल से हटाओ।
नरेशचंद्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा।

©Naresh Chandra मन की मनुहार मे
प्यार की पुकार मे
दर्द से भर है दिल
अब मान भी जाओ।

प्रेमरस से सराबोर
हृदय में उठे हिलोर
छलछला रहा हृदय
मन की मनुहार मे
प्यार की पुकार मे
दर्द से भर है दिल
                 अब मान भी जाओ।
               प्रेमरस से सराबोर
                 हृदय में उठे हिलोर
                 छलछला रहा हृदय
                  अब मान भी जाओ।
आंखिंयन के कोर से
जल की बरसात से
भीग रहा है कपोल
अब मान भी जाओ
                 मित्र हो बने मेरे
                  दूर दूर क्यों खड़े
                  अश्रु जल को मेरे
                   कपोल से हटाओ।
नरेशचंद्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा।

©Naresh Chandra मन की मनुहार मे
प्यार की पुकार मे
दर्द से भर है दिल
अब मान भी जाओ।

प्रेमरस से सराबोर
हृदय में उठे हिलोर
छलछला रहा हृदय