भीड़ भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा सबसे छुपकर यूं किसी का देखना अच्छा लगा बात तो कुछ भी ना थी लेकिन उसका एकदम हाथ को होठों पे रखकर रोकना अच्छा लगा सुरमई आंखों के नीचे फूल से खिलने लगे कहते कहते कुछ किसी का सोचना अच्छा लगा दिल में कितने अहद बांधे थे भुलाने के उसे वो मिला तो सब इरादे तोड़ना अच्छा लगा उस जान के दुश्मन को (रफी) बुरा कैसे कहूं जब भी आया सामने वो बेवफा अच्छा लगा #Mustakeem rafi #भीड़ Pratibha Tiwari Musher Ali Dilip Makwana दास्तान Aradhana Kumari