#OpenPoetry जो लड़े देश दुनियां की ख़ातिर उनको उनकी ज़िद मुबारक़, पीढ़ियों के लिए कुछ भी न किये उनको उनकी नींद मुबारक़ लोगों ने तो दूसरों को बेचा बस अपनी दुनियाँ की खातिर मानवता के लिए कुर्बान हुए उनको ये बक़रीद मुबारक़ ©️किसलय कृष्णवंशी"निश्छल"