कुछ ऐसे खो जाऊँ इन पर्वत के शिखरों में जैसे बंशी हो कृष्ण के अधरों में मैं तुम्हारे रंग, रूप,तासीर में कुछ यूँ समा जाऊँ जैसे सागर की बूँद बस जाती है मेघों में ©Harishh,,, Divine,,,