झूमता मैं भी यहाँ, इस शीतल पवन में बेझिझक, और प्रेयसी के ना होने से, तबियत ना खराब होती! सावनों की झम-झम में, बेफिक्र होकर झूमता, काश जो गिरती धरा पर, वो देशी शराब होती....!! - किशोर शुक्ल #शराब #sharab #शायरी #shayari #nojoto #nojotopoem