"मिल गया था जो मुक़द्दर, वो खो के निकला हूँ... मैं एक लम्हा हूँ, हर बार रो के निकला हूँ... राह-ए-दुनिया में मुझे कोई भी दुश्वारी नहीं मैं तेरी ज़ुल्फ़ के पेंचों से हो के निकला हूँ..." ___कुमार विश्वास # कुमार विश्वास