मैं समंदर था तू किनारा हो गया मैं डूबती नाव तू मांझी हमारा हो गया यहाँ भी घरों की दीवारें ऊँची हो गई शहर जैसा ही अब गाँव तुम्हारा हो गया अमीर को ही सब्जी में नमक कम लगता है गरीब को तो जो मिला उसी में गुजरा हो गया और ताकत दी मुझें उसके इस धोखे ने और वो सोचता रहा मैं बेसहारा हो गया बाहर डाल दी माँ की खाट तभी से जिस दिन से बेटे के नाम चौबारा हो गया यहाँ पैसों की कीमत हैं इंसान की नहीं जिस दिन से मिली नौकरी में सबको प्यारा हो गया #दोस्त#शायरी#लोगों#नमक