*कुछ खाली सा है* रेशम की डोरी से पिछले रोज़ ही बंधा था, यूं कहें, बंधा ही रहता था वो अभिमान कलाई का, उठते सोते दौड़ते भागते, हरदम दीदार कराता था, बहिना की ममता मोती का, मोल हमें समझाता था। प्रकृति के क्षोभ ने अब, कहर बरपाया है, बन कॉरॉना धरा पे , घनघोर अंधेरा आया है... #राखी #राखी_बंधन #SilentWaves