असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी। सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी। अराति सैन्य सिंधु में - सुबाड़वाग्नि से जलो, प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो। - जयशंकर प्रसाद #heartbeatsforindia