बात बहुत पुरानी हो मगर जख्म आज भी ताजे हैं वर्णन मात्र से ही उस घटना का आज भी हर रूह कांपे है एक भयावह तांडव था वह,प्रकृति का इंसानों पर मानो सचेत कर रही हो वह अपना रौद्र रूप दिखाकर मानो दिखा रही हो वह परिणाम हर एक मानवीय छेड़छाड़ का जिसके परिणाम आज तक देख रहा संसार और भुगत रहा इंसान है उस घटना में खोया किसी का परिवार तो बिखरा किसी का संसार था अलग-थलग पड़ा था इंसान कुछ ऐसा प्रकृति का वह मंजर था उसे देवताओं का रोष कहो या इंसानों का दोष, उस घटना ने थोपा हर एक तबके के व्यक्ति पर आपदा का ऐसा खंजर था निर्दोषों के खून से कहो या प्रकृति के आंसुओं,से लिखी गई वह एक ऐसी गाथा थी, जिसे पढ़कर कभी-कभी लगता है मानो इंसानों के कर्म ही हम पर परदा फेरे हैं कितना ही कुछ क्यों ना बदल जाए पर आज भी उस घटना का डर लोगों के दिलों में है बसाए डेरे है #उत्तराखंड #disaster