तिरी दस्तक मोहब्बत की महकती है जो सासों में मैं खोयी हूं तिरी आवाज़ के बहके से ख़्यालों में मचलते है तिरे अरमान अब जो इन बयानों में मुहब्बत की गुज़ारिश है तिरी दिल के तरानों में जो फैला है तिरा जादू मिरी गुलशन के कलियों में बहारें सुन रही है दास्तां शबनमी से लफ्जों में मैं गाती हूं ग़ज़ल तेरी हसीं मदहोश ख़्वाबों में बहकती हूं नशे में इश्क़ के मय-कश नज़ारों में बिखरती हूं सभंलती हूं तिरी मखमली सी बाहों में दिया जो है ये नज़राना तो बस जाना वफ़ाओं में है बहता 'नीर' आँखो से तलब उठती धड़कनों में हाँ सज जाओ मिरी होठों के अब मीठे से गीतों में । ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1010 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।