.. देखी रौशनी की आवारगी, सांझ ढले, छोड़ अंधियारा घर से निकली, मलाल सी मैली शब सुकूं की हो ली के लौटने को वो सुबह से मिल लेगी, शिकवे हल्की बेमानी लगेंगी, और वो ख़ालिस निखरी उजली होगी.. ..🌱खुशामदीद..💞 माज़ी के मोहल्ले से.. २०१८