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हमें गुमनामी मंज़ूर है, पहचान आप रख लीजिए, आने दो

हमें गुमनामी मंज़ूर है, पहचान आप रख लीजिए,
आने दो श्राप हिस्से में, वरदान आप रख लीजिए।

फ़ीता फेंकोगे, कचहरी जाओगे, तारीखें पड़ेंगी,
हमसे नहीं होगा सब, ये मकान आप रख लीजिए।

वाह-वाही के निवाले तुम्हारी आदत हो गये हैं,
भूख लग सकती है, कद्रदान आप रख लीजिए।

देनी ही है तो ये धूल चढ़ी पुरानी किताबें दे दो,
ये दुर्लभ तलवार, तीर-कमान आप रख लीजिए।

यूँ दिखावे की ख़ातिर ओढ़ ही लेना इंसानियत,
अगर यही ईमान है, तो ये ईमान आप रख लीजिए।

©Vishnuuu X #पहचान #तीर #कमान
हमें गुमनामी मंज़ूर है, पहचान आप रख लीजिए,
आने दो श्राप हिस्से में, वरदान आप रख लीजिए।

फ़ीता फेंकोगे, कचहरी जाओगे, तारीखें पड़ेंगी,
हमसे नहीं होगा सब, ये मकान आप रख लीजिए।

वाह-वाही के निवाले तुम्हारी आदत हो गये हैं,
भूख लग सकती है, कद्रदान आप रख लीजिए।

देनी ही है तो ये धूल चढ़ी पुरानी किताबें दे दो,
ये दुर्लभ तलवार, तीर-कमान आप रख लीजिए।

यूँ दिखावे की ख़ातिर ओढ़ ही लेना इंसानियत,
अगर यही ईमान है, तो ये ईमान आप रख लीजिए।

©Vishnuuu X #पहचान #तीर #कमान