उम्मीद का आखिरी अंगारा शाम का वक़्त था नज़रों के झिलमिल पानी से उम्मीद की आग बुझाकर रुखसत हुए थे दोनों पूरी शिनाख्त की थी हमने मैंने रिश्ते की राख को देर तक खंगाला था तुमने भी दिल पत्थर से बचे अंगारे कोयला थे जो चूर-चूर किये थे पर न जाने कौन घड़ी रात ने आकर उसमें से एक चाँद अंगारा चुरा लिया वो सर्द हवा की फूँकों से अब सुलगाए उसको रहती है कई रातों से अब जगा हुआ मैं हर रात सोचता हूँ अब बुझा कि अब बुझा ये बुझे तो नीन्द आए मैंने तो शिनाख्त पूरी की थी तुमसे ही वो छूटा होगा या कहीं जानबूझकर छोड़ दिया था तुमने उम्मीद का वो आखिरी अंगारा... #love #emotional #sadpoetry #sadshayri #dardbhara #painful #lovestory #hindi #urdu #romantic #night