•~•''जिन्हें *जरा* थी हमारी *परवाह*… वो *समझदार* मिले .. .. . *वफ़ा* की *राह* में… कौन *वफादार* मिले .. .. *भीड़* नकली *चेहरों* की यहां... *प्यार* एक सा .. .. . ऐसा *लगता* है वही *लोग*… *बार-बार* मिले .. ... .. . !!''•~• #. 🚫 ©anurag amii ऐसा क्यों ....