RDVBN02430
#RDV18
Bohare Nikunj - | Chitra-Vichitra |
दिल में बसे चित्र का चित्र बना रहा हूँ में।
किसका बन रहा चित्र है, यह चिंतन कर रहा विश्व है।
और नैनो की बंदिश को तोड़कर कोरे पन्ने पर गड रहा हूँ में।
प्रियशी का है या प्रेम का ये चिंतन कर रहा हूँ में।
देख रहा वैकुंठ भी एक चित्र बना रहा हूँ में।