चित्रांगद की कलम से *लाडले देवर की प्यारी भाभी * देवर नन्द को जो रखती राजी ऐसी है मेरी सबसे प्यारी भाभी सुबह से जो भाई में भरती चाबी ऊर्जा की ऐसी उमंग है भाभी सास को हरपल कहे जो माँ जी ऐसी चुस्त फुर्तीली है मेरी भाभी खाकर खाना, सभी कहें वाह जी ऐसी आई प्रशिक्षित , माईके से मेरी भाभी मेरी हर बात पर कहे जो हांजी ऐसी है घर की लाड़ली मेरी भाभी शुभ मुहूर्त में करके भईया से शादी आई मेरे घर बहुत प्यारी भाभी भाभी जी