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भोर का बक्त होते ही फिर पीटी की सीटी है लिख रहा ह

भोर का बक्त होते ही  फिर पीटी की सीटी है
लिख रहा हूँ वो यादें जो हर खुशियों से मीठी है
कि कुछ सोते कुछ भागते जा रहे कतारों में
कि कुछ  मस्ती करते जा रहे थे यारो में
अब वक्त आता है विद्यालय में जाने का
अब वक्त हो गया है हमी नवोदय गाने का
कई आखों में इश्क ढूढते कुछ नयन मिला बैठे
पाकर छोटी सी मुस्कान को अपने होश गवा बैठे
फिर कक्षा में बैठकर पढने की बारी आती है
शिक्षक के साथ बीती हुई मस्ती भी याद आती है
वो सुहाने पल की सुहानी यादें है हर याद सुनाने की
ये प्यारी प्यारी यादें है छोटे से जमाने की
फिर हाउस की मीठी यादें वो बृतांत बताते हैं
लडते झगडते  सारे यार फिर मिल बैठ कर खाते है
इक दूसरे को चिढाने पर अलग ही मजा आता था
कोई नाम बिगाड़ता तो कोई गाली भी दे जाता था
पता न चला कब बीत गये दिन वो हर याद सताती है
वो नवोदय की सारी बातें अब भी मन को भाती है


                           जयदेव नवोदयन

©jagdish rathore jnv
भोर का बक्त होते ही  फिर पीटी की सीटी है
लिख रहा हूँ वो यादें जो हर खुशियों से मीठी है
कि कुछ सोते कुछ भागते जा रहे कतारों में
कि कुछ  मस्ती करते जा रहे थे यारो में
अब वक्त आता है विद्यालय में जाने का
अब वक्त हो गया है हमी नवोदय गाने का
कई आखों में इश्क ढूढते कुछ नयन मिला बैठे
पाकर छोटी सी मुस्कान को अपने होश गवा बैठे
फिर कक्षा में बैठकर पढने की बारी आती है
शिक्षक के साथ बीती हुई मस्ती भी याद आती है
वो सुहाने पल की सुहानी यादें है हर याद सुनाने की
ये प्यारी प्यारी यादें है छोटे से जमाने की
फिर हाउस की मीठी यादें वो बृतांत बताते हैं
लडते झगडते  सारे यार फिर मिल बैठ कर खाते है
इक दूसरे को चिढाने पर अलग ही मजा आता था
कोई नाम बिगाड़ता तो कोई गाली भी दे जाता था
पता न चला कब बीत गये दिन वो हर याद सताती है
वो नवोदय की सारी बातें अब भी मन को भाती है


                           जयदेव नवोदयन

©jagdish rathore jnv