ज़िनà¥à¤¦à¤—ी गà¥à¤²à¥›à¤¾à¤° है वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी, हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते.. वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी. ©बेनाम शायर #Gulzar