सच है स्वार्थ भरे पल तेरे, ये शब्द भी है मेरे, अब हद से ज्यादा एहसान न कर। वक़्त निकल गया अब दगेबाज न कह, बद्दिमाकी अल्फाजों को बयां न कर। तू खुश रहे सदा जन्हा भी रहे, भले ही मुझसे प्यार न कर। खुश रहे तू सदा.....!