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सही वक्त की तलाश में वक्त ही फिसल गया खिली बसंत की

सही वक्त की तलाश में
वक्त ही फिसल गया
खिली बसंत की बहार में
पतझड़ आ गया
लफ्ज़ सिमटे रह गये
नयन छलकते रह गये
सही वक्त की तलाश में
कलम घिसते रह गये
पन्ने पिसते रह गये
अंदर से फिर भी उफ तक न आई
मन में बस तन्हाई ही तन्हाई छाई

©Bhaरती
  #पतझड़_आ_गया🍁
bhartikotlu8620

Bhaरती

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पतझड़_आ_गया🍁 #Quotes

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