आया करैं सैं तीज, वो मिहना सामण का हो सै रूखां घल ज्यां पींघ, वो मिहना सामण का हो सै बरसै मीह, गरजैं बादळ, कुकैं कोयल, अर मोर नाचैं बिना पाँख भी मन माणस का, जब उड़न का हो सै वो मिहना सामण का हो सै गाँवैं गीत, बढ़ावैं पींघ, लरजैं डाळे, अर झोटे लेवैं लाम्बा हाथ लफा कैं तोड़ना, नाक सासू का हो सै वो मिहना सामण का हो सै फुटैं कोपळ, खिलैं फूल, उडैं भंवरे अर लोग हरसैं हरयाली चोगर्दै बखत निराळा, झड़ लाण का हो सै वो मिहना सामण का हो सै बणावैं सुहाळी, तारैं गुलगले, बाँटैं घेवर, अर पूड़े खावैं ले कैं नै कोथळी बाहण धोरै, फर्ज जाण का हो सै वो मिहना सामण का हो सै आवै याद, लिकड़ै काळजा, रुकैं सांस, अर हूक उठैं ना पिया घरां जी प्रोमिला का, आग लाण का हो सै वो मिहना सामण का हो सै