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तू ख्वाब है या परछाईं, मुझमेंं थी या कहीं दूर से आ

तू ख्वाब है या परछाईं,
मुझमेंं थी या कहीं दूर से आई,
सपना है तो फिर यादों में दी क्युं तन्हाई,
जिन्दगी एक सजा बन रही जब से तू ने की है जुदाई,
क्या मजबूरी थी जो दिल को इतनी आहत पहुंची,
प्यार नही था फिर क्युं नजदीक आई,
जिन्दगी में बडी मुश्किल से सम्भलता है 
इंसान जब मिलती है उसे बेवफाई,
सुकून से जिन्दगी बिता और चैन से काटने दे तन्हाई।

©Raj rajpoot
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