एब्सेंट थे आज अध्यापक जी, सब बन गए थे मनमौजी, कक्षा में मचा हुआ था हरदंग, हीरो छात्रों की टोली, जमीन की खिड़की दरवाजों के पास, आते जाते छात्रों पर, कर रहे थे कमेंट पास, किसी के हाथ में थी किताब, कोई कर रहा था अध्यापक का इंतजार, अनेक छात्र उलझे थे बातों में, कहीं चल रहा था प्रीतिभोज, कोई दिखा रहा था ऋतिक सा पोज, अचानक अध्यापक कक्षा में पधारे, उड़ा दिए प्राण पखेरू हमारे, अपने नरम नरम हाथों से, दिल ने दिखा दिया हमको तारे, अचानक आंख खुल गई, बात समझ आ गई, या तो सपना था!! फ्री पीरियड ☺️