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इस सफर में मेरे साथ चलना कि मै लड़खड़ाता बहुत हूं

इस सफर में मेरे साथ चलना कि मै लड़खड़ाता बहुत हूं 
हो सके तो मेरा हाल पूछ लेना, मैं अब छुपाता बहुत हूं
अपने अंदर समुंद्र छुपा के 
मैं चहरे पर हसी लाता बहुत हूं,
वो जिसे अब मेरी आवाज सुनाई ही  नहीं देती
मैं क्या  पता क्यु उसे आवाज लगाता बहुत हूं
वो जिसने कभी मुझे समझा ही नहीं 
मैं खामखां उसे समझ ता बहुत हूं
मैं बाहर से शांत चाहे कितना लगु
अपने अंदर चिखता चिलाता बहुत हूं। Dil ki bte
इस सफर में मेरे साथ चलना कि मै लड़खड़ाता बहुत हूं 
हो सके तो मेरा हाल पूछ लेना, मैं अब छुपाता बहुत हूं
अपने अंदर समुंद्र छुपा के 
मैं चहरे पर हसी लाता बहुत हूं,
वो जिसे अब मेरी आवाज सुनाई ही  नहीं देती
मैं क्या  पता क्यु उसे आवाज लगाता बहुत हूं
वो जिसने कभी मुझे समझा ही नहीं 
मैं खामखां उसे समझ ता बहुत हूं
मैं बाहर से शांत चाहे कितना लगु
अपने अंदर चिखता चिलाता बहुत हूं। Dil ki bte