एक जमाने से सुने नहीं, गांव के हालात बता यहां तो बूंदाबांदी है, वहां कैसी होती है बरसात बता? क्या अब भी बच्चे कागज़ की, कश्तियां बहाते हैं?... नन्ही उंगलियों के कंचों से, कैसे हैं ताल्लुकात बता? पहले तो बड़े बुजुर्ग, किस्से कहानियां सुनाते थे.. अब कैसे गजरती है, ये लम्बी रात बता? #शायरी #हिन्दी