जिन्दगी कुछ कह रही थी तुमसे पर तुम थे कि उसे अनसुना कर कही और किसी के ख्यालों मेंं खोये हुए थे वो वक्त भी हैं जो अक्सर उलहाना दिया करते थे उस समय का। क्या हुआ उन ख्यालों का। क्या कुछ कहा तुमसे तुम्हारे बारे अरे वास्तव मे जो खुशी तुम कही और खोज रहे थे वो तो तुम्हारे अन्दर ही थी वो प्यार वो खुशी वो झल्लाना वो.चिल्लाना ये.सब कुछ तुम्हें अपने आप में ही समेटे जा रही। जैसे ही तुम शान्त होते ये जिंदगी फिर से तुम्हें अपने रंग में रंग लेती। ये जिंदगी कुछ कह रही है तुमसे...... #अपर्णा की कलम से# जिन्दगी कुछ कह रही है तुम से