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मोहब्बत से उकता गया है दिल मेरा... अब हिज्र की रात

मोहब्बत से उकता गया है दिल मेरा...
अब हिज्र की रात दोगुनी चाहता हूँ...
ये जाने कैसा ईश्क है मेरा यारा...
मैं रेत में बीज बोकर आमदनी चाहता हूँ..

©पवन कश्यप
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