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नहीं ..नहीं मैं ठीक हूँ।। कमरे में खामोश बैठे हुए.

नहीं ..नहीं मैं ठीक हूँ।। कमरे में खामोश बैठे हुए..अगल बगल से आती हुई आवाज़ों को नज़रअंदाज़ करते हुऐ आख़िर क्या सोच रही थी ।।
आँखों में आँसू आये और बस ठहर गए ..उन्हें मैंने गिरने नहीं दिया था।या यूँ कहिए के अब इतने आँसूं थे ही नहीं के उनको बहाया जाए। सब कुछ तो ठीक था फिर क्या था जो परेशान कर रहा था।।बहुत देर ये सोच रही थी कहीं चली जाती हूँ,लेकिन कहाँ? इतने दोस्त थे लेकिन उनको भी कबतक आखिर कबतक परेशान करती,फ़ोन को बस ताकती रही ,कमरे में पंखा तक नहीं चलाया था..उतना शोर भी बर्दाश्त न था।मैं अब बस सुकून चाहती थी।। या एक सन्नाटा जहाँ मुझसे कोई कुछ न पूछे।एकदम खामोश बैठी रहूँ मैं बस उस दीवार को ताकती हुई जिसमें कोई अच्छा रंग न था,मेरी तरह बेरंग थी वो दीवार।। लेकिन वो फ़ालतू नहीं थी उसने एक घर के कमरे को बख़ूबी सम्हाल रखा था,मेरी तरह जिसने बाक़ी सबकुछ बख़ूबी सम्हाल रखा था सिर्फ़ अपने आपको।। पता नहीं क्या चाहिए था,किस वक़्त का इंतज़ार था। इसी बीच एक फ़ोन आया.. फ़ोन सबसे अच्छी दोस्त का था।
"कैसी है रे पागल"? उसने पूछा
"मैं ठीक हूँ" मैंने कहा
ओये चल झूठ मत बोल जो तूने आँसु छुपा रखे है उनको बह जानें दे,एक लंबी साँस ले और फिर बोल क्या हुआ तुझे,तेरे ड्रामें नहीं खत्म होते।
मैं हैरान थी,ये दोस्तों को कैसे पता चल जाता है। ज़रूरी नहीं वो सब ठीक करदे लेकिन साथ हो तो काफ़ी है।।

अब मैं अकेले नहीं रो रही थी,कोई और भी जुड़ चुका था,जो मुझे सम्हाले हुए था।।। #merikahani #nojoto
नहीं ..नहीं मैं ठीक हूँ।। कमरे में खामोश बैठे हुए..अगल बगल से आती हुई आवाज़ों को नज़रअंदाज़ करते हुऐ आख़िर क्या सोच रही थी ।।
आँखों में आँसू आये और बस ठहर गए ..उन्हें मैंने गिरने नहीं दिया था।या यूँ कहिए के अब इतने आँसूं थे ही नहीं के उनको बहाया जाए। सब कुछ तो ठीक था फिर क्या था जो परेशान कर रहा था।।बहुत देर ये सोच रही थी कहीं चली जाती हूँ,लेकिन कहाँ? इतने दोस्त थे लेकिन उनको भी कबतक आखिर कबतक परेशान करती,फ़ोन को बस ताकती रही ,कमरे में पंखा तक नहीं चलाया था..उतना शोर भी बर्दाश्त न था।मैं अब बस सुकून चाहती थी।। या एक सन्नाटा जहाँ मुझसे कोई कुछ न पूछे।एकदम खामोश बैठी रहूँ मैं बस उस दीवार को ताकती हुई जिसमें कोई अच्छा रंग न था,मेरी तरह बेरंग थी वो दीवार।। लेकिन वो फ़ालतू नहीं थी उसने एक घर के कमरे को बख़ूबी सम्हाल रखा था,मेरी तरह जिसने बाक़ी सबकुछ बख़ूबी सम्हाल रखा था सिर्फ़ अपने आपको।। पता नहीं क्या चाहिए था,किस वक़्त का इंतज़ार था। इसी बीच एक फ़ोन आया.. फ़ोन सबसे अच्छी दोस्त का था।
"कैसी है रे पागल"? उसने पूछा
"मैं ठीक हूँ" मैंने कहा
ओये चल झूठ मत बोल जो तूने आँसु छुपा रखे है उनको बह जानें दे,एक लंबी साँस ले और फिर बोल क्या हुआ तुझे,तेरे ड्रामें नहीं खत्म होते।
मैं हैरान थी,ये दोस्तों को कैसे पता चल जाता है। ज़रूरी नहीं वो सब ठीक करदे लेकिन साथ हो तो काफ़ी है।।

अब मैं अकेले नहीं रो रही थी,कोई और भी जुड़ चुका था,जो मुझे सम्हाले हुए था।।। #merikahani #nojoto
sadafkhan1626

Sadaf Khan

Silver Star
Super Creator