शीर्षक - घणो लागे मनैं प्यारो, सखी यो सासरो मारो --------------------------------------------------------------- (शेर)- मन नहीं करै मारो, छोड़ जावां नै सासरो। लागे पीहर जस्यो मनैं, सच यो मारो सासरो।। सगळा करै यहाँ प्यार मनैं, झूठ क्यूं मूं बोलूं। स्वर्ग अर मंदिर जस्यो है, सच मं मारो सासरो।। ----------------------------------------------------------- घणो लागे मनैं प्यारो, सखी यो सासरो मारो। करै सगळा मनैं यहाँ लाड़, आछो है सासरो मारो।। घणो लागे मनै प्यारो----------------------------।। सासू मारी माँ जसी, बाबुल जस्या मारा ससुर जी। बहण जसी मारी नणद, भाई जस्या मारा देवर जी।। सगळा दे घणो मनैं सम्मान, पीहर सो सासरो मारो। घणो लागे मनैं प्यारो-------------------------------।। हाथ बटाव मारा काम मं, दोराणी अर जेठाणी। बेटी बोले जेठ मनैं, अर नहीं दे दुःख मारो धणी।। सगळा रखें है मनैं खुश, स्वर्ग सो सासरो मारो। घणो लागे मनैं प्यारो----------------------------।। जद भी आवै माँ बापू मनैं, मिलवा मारे सासरे। होवे घणी वाकी आवभगत, सखी मारे सासरे।। मारी जान- शान है सच मं, मंदिर सो सासरो मारो। घणो लागे मनैं प्यारो---------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #आछो है सासरो मारो