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किसी की सहायता पाकर हम अभिभूत हो उठते हैं और हमारे

किसी की सहायता पाकर हम अभिभूत हो उठते हैं और हमारे मुंह से निकल पड़ता है बहुत अच्छा आदमी है वह हमारी परीक्षा परिभाषा गढ़ने लगते हैं अच्छे आदमी की हमारी विचारों के दायरे में अच्छा आदमी वही है जिससे हमारी सहायता की है आंचल में एक लोककथा प्रचलित है एक धनी सज्जन इन्हें एक बार बहुत से विद्वान को भोजन ही नियंत्रण दिया अतिथि विद्वानों में देवता भी थे और असुर भी सभी एकत्रित होकर गए तब आंसू रोने ग्रह पति से कहा आप लोग सदा हमारे साथ अन्याय करते हैं विद्या ज्ञान शक्ति आदि में हम देवताओं से 20 है फिर भी आप लोग देवताओं को पहले भोजन करवाते हैं गृह पति ने भी नेहरू स्वर में कहा आप करो ना करें पहले आप ही भोजन करवाया जाएगा लेकिन आपको एक शर्त के अनुसार आपके दोनों हाथों में 33 फीट की लकड़ी बांधी जाएगी इसके बाद ही भोजन करना होगा अशोक ने इस तत्कालिक विजय पर 7 स्वीकृत कर दी असुर के सक्षम पकवान रख दिए गए और हाथों में लकड़ियां बांधी गए असुर ने खाने के लिए हाथ बढ़ाएं परंतु मुंह में पहुंचने के बजाय सिर के पीछे खाना गिरने लगा क्योंकि हाथ में लकड़ियां बनी हुई सेवर मोड़ नहीं पा रहे थे थक हार कर सो रुपए गोरखा उठ गए अब देवता की बारी आई देवताओं ने अपने एक दूसरे के सामने लगाएं लकड़ी बनी हुई कि भोजन से एक देवता अपने हाथों के सामने वाले देवता के मुंह में को रखते और सामने वाले देवता पहले वह के मुंह में यही वृद्धि का अंतर स्वयं के आसपास केंद्र देने वाले और मिलकर रहने वाले देवता

©Ek villain #अच्छा आदमी बनने की चाहत
#Nofear
किसी की सहायता पाकर हम अभिभूत हो उठते हैं और हमारे मुंह से निकल पड़ता है बहुत अच्छा आदमी है वह हमारी परीक्षा परिभाषा गढ़ने लगते हैं अच्छे आदमी की हमारी विचारों के दायरे में अच्छा आदमी वही है जिससे हमारी सहायता की है आंचल में एक लोककथा प्रचलित है एक धनी सज्जन इन्हें एक बार बहुत से विद्वान को भोजन ही नियंत्रण दिया अतिथि विद्वानों में देवता भी थे और असुर भी सभी एकत्रित होकर गए तब आंसू रोने ग्रह पति से कहा आप लोग सदा हमारे साथ अन्याय करते हैं विद्या ज्ञान शक्ति आदि में हम देवताओं से 20 है फिर भी आप लोग देवताओं को पहले भोजन करवाते हैं गृह पति ने भी नेहरू स्वर में कहा आप करो ना करें पहले आप ही भोजन करवाया जाएगा लेकिन आपको एक शर्त के अनुसार आपके दोनों हाथों में 33 फीट की लकड़ी बांधी जाएगी इसके बाद ही भोजन करना होगा अशोक ने इस तत्कालिक विजय पर 7 स्वीकृत कर दी असुर के सक्षम पकवान रख दिए गए और हाथों में लकड़ियां बांधी गए असुर ने खाने के लिए हाथ बढ़ाएं परंतु मुंह में पहुंचने के बजाय सिर के पीछे खाना गिरने लगा क्योंकि हाथ में लकड़ियां बनी हुई सेवर मोड़ नहीं पा रहे थे थक हार कर सो रुपए गोरखा उठ गए अब देवता की बारी आई देवताओं ने अपने एक दूसरे के सामने लगाएं लकड़ी बनी हुई कि भोजन से एक देवता अपने हाथों के सामने वाले देवता के मुंह में को रखते और सामने वाले देवता पहले वह के मुंह में यही वृद्धि का अंतर स्वयं के आसपास केंद्र देने वाले और मिलकर रहने वाले देवता

©Ek villain #अच्छा आदमी बनने की चाहत
#Nofear
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Ek villain

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